कठुआ गैंगरेप मामले ने पूरे देश को हिला दिया था इस मामले को सुलझाने में एसआईटी के लिए दिल्ली की फॉरेंसिक लैब काफी मददगार साबित हुई।पहले ही काम के भारी बोझ से दबी इस लैब के लिए कठुआ ने कुछ पुलिसवालों ने जांच को और मुश्किल बना दिया था। बताया जाता है कि इन पुलिसकर्मियों ने सबूतों को मिटाने की कोशिश की। उन्होंने पीड़ित बच्ची के सलवार फ्रॉक को धो डाला था, ताकि उस पर कोई खून का धब्बा न बचे।
ये पुलिसवाले अपने मकसद में सफल भी हो जाते, क्योंकि एसआईटी ने जब ये कपड़े श्रीनगर फॉरेंसिक लैब भेजे गए, तो वह कोई पुख्ता राय देने में नाकाम रहा था। हालांकि इसके बाद एसआईटी ने दिल्ली के फॉरेंसिक लैब की मदद ली। जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने डीएनए सैंपलिंग के लिए 27 फरवरी को दिल्ली गृह मंत्रालय के सचिव को चिट्ठी लिखी, जिसके बाद उन्हें इसकी इजाजत मिल गई और दिल्ली एफएसएल ने इस मामले की जांच शुरू कर दी।
इसके बाद 1 मार्च को पीड़िता के जननांगों से मिले लिक्विड के नमूने (वजाइनल स्मियर), उसके बाल और पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और आरोपी शुभम सांगरा के खून के नमूने को सात पैकेटों में दिल्ली के फोरेंसिक लैब में भेजा गया। चौदह दिनों के बाद मृत बच्ची के विसरा सैंपल (अंदरूनी अंगों के सैंपल) और दूसरे आरोपी परवेश के खून के सैंपल दिल्ली भेजा गया। इसके एक दिन बाद यानी 16 मार्च को बच्ची के सलवार फ्रॉक, इलाके से कुछ मिट्टी और बच्ची के खून से सनी हुई मिट्टी भेजी गई। 21 मार्च को आरोपी विशाल जंगोत्रा के खून का सैंपल दिल्ली फॉरेंसिक लैब भेजा गया।
डायरेक्टर दीपा वर्मा ने बताया कि इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई। उन्होंने कहा कि हम लोग बलात्कार, हत्या और पोक्सो से संबंधित मामलों को प्राथमिकता देते हैं। बायोलॉजी एक्सपर्ट द्वारा 3 अप्रैल को रिपोर्ट को दाखिल किया गया। एसआईटी की तरफ से दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया कि चूंकि दिल्ली फॉरेंसिक लैब के पास ज़्यादा अच्छी तकनीक है, इसलिए पीड़िता के सलवार फ्रॉक के धब्बों को मार्क कर लिया गया। टेस्ट के दौरान पता चला कि ये खून के निशान पीड़िता के डीएनए से मेल खाते हैं।डीएनए प्रोफाइलिंग के दौरान पीड़िता के जननांगों के लिक्विड में उसका खून भी पाया गया। एसआईटी ने इस केस की और भी बारीकी से जांच की, जिसमें उन्हें देवीस्थान से खून का धब्बा लगा हुआ एक लकड़ी का डंडा और कुछ बाल मिले।
मृत बच्ची की डीएनए प्रोफाइलिंग बताती है कि उसे सांझीराम ने बंधक बनाकर रखा था। देवीस्थानम की देखरेख वही करता था, इसलिए घटना में उसकी मिलीभगत होने की पूरी संभावना है। फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट बताती है कि शव के पास से मिले बाल के डीएनए आरोपी शुभम सांगरा के डीएनए प्रोफाइल से मेल खाता है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की हत्या के पहले उसका बलात्कार किया गया था। दिल्ली के फोरेंसिक लैब के सूत्रों ने बताया कि ‘हम अक्सर दूसरे राज्यों के मामलों को नहीं लेते, क्योंकि हमारे पास पहले से ही काफी मामले लंबित है। वर्तमान समय में हमारे पास 3800 मामले लंबित हैं। दो साल पहले इनकी संख्या 9000 थी।’ उन्होंने कहा कि दिल्ली फोरेंसिक लैब दूसरे राज्यों से सिर्फ उन्हीं मामलों को लेता है, जो बहुत ही ज़रूरी होते हैं जैसे- रायन स्कूल मर्डर केस।