अजय चौधरी
जो ऑफलाइन है वो पास बुक में एंट्री करवा और जो ऑनलाइन हैं वो बार बार लॉगिन कर यही चेक कर रहे हैं कि कहीं उनके खाते से तो कुछ नहीं कटा। ऐसा करते समय बार बार उन्हें पीएम मोदी की एक बात याद आ रही है- अपनी गुलक भी बैंक में बनाओ, बैंक के पास अपना पैसा छोड़ो और निश्चित हो जाओ।
ख़बर है कि मध्यप्रदेश में मौसम का हाल बताने के नाम पर बिना बताए भारतीय स्टेट बैंक ने किसानों के खातों से 990 रुपये काट लिए। जबकि सरकार टोल फ्री नंबर पर पहले ही मौसम की जानकारी मुफ्त दे रही है। अगर सभी किसान क्रेडिट कार्ड रखने वाले सभी किसानों के खाते से ये रुपए काटे गए तो ये राशि 990.90 करोड़ से अधिक बैठ जाती है।
ऐसा ही दूसरा मामला दिल्ली से सामने आया है। यहां तो स्कूली बच्चों के खातों में से यूनिफॉर्म के लिए मिलने वाले रुपए काट लिए गए। क्योंकि उन्होंने अपने खाते में न्यूनतम राशि(मिनिमम बैलेंस) बरकरार नहीं रखा। जबकि स्टूडेंट एकाउंट जीरो बैलेंस पर खोला जाता रहा है।
2014 में जब प्रधानमंत्री जन धन योजना चलाई गई तब बैंकों में लोगों के शून्य बैलेंस एकाउंट खोले गए। उस वक्त जिन लोगों के पहले से बैंक में खाते थे उन्होंने भी खाते खुलवा लिए की ये जीरो बैलेंस वाले। जब इस योजना के तहत उस वक्त 17.90 करोड़ खाते खोलने का रेकॉर्ड बनाया गया तो पता चला कि इनमें से करीब आधे खातों में जीरो बैलेंस है। ऐसे में बैंकों ने सरकार और खुद की किरकिरी होने से बचाने के लिए खुद ही खातों में एक- एक रुपए जमा करा दिए थे। लेकिन बाद में मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने के नाम पर एसबीआई ने ही 388.74 लाख खातों से 235.06 करोड़ रुपए का जुर्माना भी वसूला।
ऐसे में लोगों को अपने बैंक में जमा रुपयों के बारे में चिंता होना स्वाभिक है। खासकर उस समय जब नीरव मोदी जैसे धोखेबाज पीएनबी से 11,300 रुपये का घोटाला कर फरार हो जाता है। नोटबंदी के बाद से तो अधिकतर घरों ने कैश का चलन कम कर दिया है। उनकी ज़िंदगी की सारी कमाई बैंकों में है। ऐसे में लोग बार बार अपने खाते में जमा बैलेंस की जांच कर रहे हैं।