सुप्रीम कोर्ट ने शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य के पिता की अर्जी पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ ही कहा है कि राज्य सरकार एफआईआर के आधार पर आगे की कार्रवाई पर रोक भी लगा दी है। जाहिर है कि मेजर आदित्य को न तो पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है और न ही पुलिस उन्हें अभी गिरफ्तार कर सकती है।
मेजर आदित्य के पिता ले. कर्नल करमवीर सिंह ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां में फायरिंग के मामले में एफआईआर को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को सिंह के वकील ऐश्वर्य भाटी की दलीलें सुनीं। इसके बाद पीठ ने सोमवार को सुनवाई का फैसला किया था।
उल्लेखनीय है कि सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के मेजर कुमार के खिलाफ रणबीर पीनल कोड के तहत हत्या की धारा (302) और हत्या के प्रयास (307) का मामला दर्ज किया गया है। शोपियां के गनोवपोरा गांव में पत्थरबाज भीड़ पर फायरिंग के दौरान दो नागरिकों की मौत हो गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सईद ने मामले की जांच के आदेश दिए थे और राज्य की पुलिस ने सेना के अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी।
इसके खिलाफ याचिका दायर करते हुए मेजर के पिता ने अपनी याचिका में कहा कि 10 गढ़वाल राइफल्स में तैनात उनके बेटे मेजर आदित्य कुमार का नाम गलत और मनमाने ढंग से एफआइआर में दर्ज किया गया है। यह घटना अफस्पा (एएफएसपीए) के तहत आने वाले इलाके में हुई थी। आतंकी गतिविधियों में लिप्त एक हिंसक भीड़ ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया था। इसलिए वह अपनी सेना की ड्यूटी का निर्वाह कर रहा था। यह हिंसक भीड़ बेवजह पत्थर मार-मारकर सेना के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर रही थी।
अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी के जरिये दायर अपील में कहा गया कि लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह के बेटे का मकसद सैन्य अफसरों की रक्षा करना, संपत्ति की रक्षा करना था। साथ ही वह आग लगाने की कोशिश कर रही हिंसक और बर्बर भीड़ को खदेड़ना चाहते थे। बेकाबू भीड़ से पहले वहां से हटने की अपील की गई। फिर उनसे सेना के कार्य में बाधा नहीं डालने और सरकारी संपत्ति को नष्ट नही करने की भी अपील की गई। लेकिन जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तब भीड़ को वहां से हट जाने की चेतावनी दी गई।