दिल को दहला देने वाली सोहराबुद्दीन शेख ‘फर्जी मुठभेड़’ मामले की सुनवाई करने वाले सीबीआई के स्पेशल कोर्ट के जज बी एच लोया के कथित तौर पर रहस्यमय परिस्थितियों में हुए मौत की स्वतंत्र जांच कराने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंलगवार को सुनवाई हुई। महाराष्ट्र सरकार ने मौत से संबंधित दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने लोया की मौत की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘यह ऐसा मामला है जहां उन्हें (याचिकाकर्ताओं) सब कुछ पता होना चाहिए।’
महाराष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके द्वारा पेश की गई कुछ गोपनीय रिपोर्टों को छोड़कर याचिकाकर्ता अन्य दस्तावेज हासिल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कोई निश्चित तारीख तय किए बिना इस मामले पर सुनवाई के लिए एक हफ्ते बाद का समय दिया। सुनवाई करने वाली पीठ में कोई बदलाव नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट की जो पीठ इस मामले की सुनवाई करने वाली है, उनमें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा तथा न्यायमूर्ति एम एन शांतनागौदर शामिल हैं।
इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट के चार कार्यरत न्यायाधीशों जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम बी लोकुर तथा जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर शीर्ष अदालत में कामकाज के ‘सिस्टम’ पर सवाल उठाए थे।
आजादी के बाद देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट के कार्यरत जजों ने इस तरह से प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह के मुद्दे उठाए, उसे सीधे तौर पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा गया गया। उनकी नाराजगी विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों को मनमाने ढंग से जूनियर जजों को सौंपने को लेकर भी थी।
मुंबई के पत्रकार बी आर लोन और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने जज लोचा के निधन स्वतंत्र जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सोहराबुद्दीन शेख ‘फर्जी मुठभेड़’ जैसे संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रहे जज लोया का 1 दिसंबर, 2014 को कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से नागपुर में निधन हो गया था, जब वह अपने एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शिरकत करने गए हुए थे। इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे, जिन्हें बाद में बरी कर दिया गया। पत्रकार निरंजन टकले ने जज लोया के निधन मामले को लेकर एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने सवाल उठाए थे कि आखिर जज लोया के परिवार को इसके लिए कौन आश्वस्त करेगा कि उनकी मौत स्वाभाविक थी।
सुप्रीम कोर्ट के ‘सिस्टम’ पर सवाल उठाने वाले चार जजों की शुक्रवार की प्रेस कांफ्रेंस को इस मामले से जोड़कर भी देखा गया। बाद में रविवार को जज लोया के बेटे अनुज ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि उनके परिवार ने अब मान लिया है कि पिता की मौत स्वाभाविक थी और अब उन्हें किसी तरह से परेशान न किया जाए। उनका परिवार किसी भी राजनीतिक मुद्दे का शिकार नहीं होना चाहता।