Rahul and Akhilesh: इस समय सपा के एक वरिष्ठ नेता के बयान के बाद से यह सवाल उठ रहे हैं, कि क्या कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सपा के अखिलेश यादव की दोस्ती टूटने वाली है। क्या यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए ही हुआ था। यह सवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि सपा के वरिष्ठ ने ऐसा बयान ही दे दिया है। जिससे कि यह संकेत मिल रहे हैं कि शायद राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की दोस्ती टूट सकती है। दरअसल बात यह है कि महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस समय खीचातानी शुरू हो चुकी है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष का बयान-
इसी बीच महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिससे कि यह सवाल उठने लगे। उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर उन्हें विधानसभा में उनकी मनपसंद सीटें नहीं दी जाएगी, तो वह अकेले ही चुनाव लड़ लेंगे। साल 2024 के अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिससे पहले सभी पार्टियां अपनी जोड़ तोड़ने लगे हुए हैं।
एमवीए के खिलाफ आक्रामक-
इसी सबके बीच समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आज़मी अपने ही सहयोगी गठबंधन एमवीए के खिलाफ आक्रामक नजर आए, उन्होंने कहा कि हम महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी से 10 सीट विधानसभा चुनाव में मांगेंगे। वह सीटें कौन सा होंगी ये हम खुद तय करेंगे और अगर हमारी बातों को नहीं माना गया तो हम यह चुनाव अकेले ही लड़ लेंगे। एमवीए के खिलाफ आक्रामक-
क्या हैं शर्तें-
महा विकास आघाड़ी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कभी मुस्लिम आरक्षण मुद्दा एमवीए ने नहीं उठाया है। 5% जनसंख्या के बात तो कोई करता ही नहीं है। इन्हें मुस्लिम वोटर्स से पूरी उम्मीदें भी हैं, लेकिन यह उनके लिए कभी आरक्षण की बात नहीं करते है, जो हमें ज़रा भी मंज़ूर नहीं है। इन्हें यह लग रहा है कि अगर मुस्लिम पर ज्याती होगी ते वह वोट दे ही देगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है। इन्हें हम वोट तभङी देंगे जब यह हमें लिखित में देंगे कि इनकी निति में मुस्लिम आरक्षण है।
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विधानसभा चुनाव-
उन्होंने कहा कि अगर हमारी बात ही नहीं सुनी जाएगी, तो हम इनको वोट क्यों ही देंगे। इस बार आप देखिए कि मुसलमान ने उनको भी वोट दिया है, जिसने कहा हमने मस्जिद तोड़ा है। यह शर्ते समाजवादी पार्टी की ओर से तब रखी गई है, जब लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद एमवीए के दल विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। अब देखना यह होगा की राजनिति किस ओर करवट बदलती है।
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