हाथरस में हुई भगदड़ त्रासदी के केंद्र में रहे स्वयंभू गोडमैन सूरज पाल उर्फ नारायण सकर हरि, जिन्हें उनके भक्त ‘भोले बाबा’ कहते हैं, 23 साल पहले आगरा में गिरफ्तार हुए थे।
‘चमत्कारी शक्तियों’ से जिंदा करने का दावा-
राजू नाम के एक चश्मदीद गवाह ने मीडिया को बताया, “सूरज पाल के कोई बच्चा नहीं था, इसलिए उन्होंने अपनी भतीजी को गोद लिया था, जो कैंसर से पीड़ित थी। एक दिन लड़की बेहोश हो गई और पाल के अनुयायियों ने दावा किया कि वह चमत्कार से बच्ची को ठीक कर देंगे।”
श्मशान में हंगामा, लाठीचार्ज-
पंकज ने आगे बताया, “लड़की की मृत्यु के बाद उसका शव मल्ला का चबूतरा श्मशान ले जाया गया। लेकिन पाल के अनुयायी जिद पर अड़े रहे कि वह आएंगे और लड़की को वापस जिंदा कर देंगे। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया जिसके बाद पुलिस को पहुंचना पड़ा और लाठीचार्ज करना पड़ा।”
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सबूतों के अभाव में हुए बरी-
सूरज पाल और उनके छह अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, सबूतों के अभाव में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
फरार ‘भोले बाबा’-
हाथरस भगदड़ घटना के बाद से सूरज पाल फरार हैं। इस घटना में 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। उनके आगरा स्थित घर को निगरानी में ले लिया गया है।
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‘दर्शन’ के लिए आते हैं अनुयायी-
पंकज के अनुसार, सूरज पाल के आगरा स्थित घर पर उनके अनुयायी नियमित रूप से ‘दर्शन’ के लिए आते हैं। कुछ साल पहले कासगंज शिफ्ट होने से पहले वह इसी घर को आश्रम के रूप में इस्तेमाल करते थे।
निष्कर्ष-
यह मामला अंधविश्वास और कथित चमत्कारी शक्तियों के दावों के खतरनाक परिणामों को दर्शाता है। समाज को ऐसे स्वयंभू गोडमैन से सावधान रहने की जरूरत है।