जूली चौरसिया
Om Birla: इन दिनों लोकसभा में रोज़ हंगामा हो रहा है और विपक्ष इसका कारण स्पीकर पद पर बैठे ओम बिरला को मान रहा है, विपक्ष का कहना है कि वह किसी को बोलने का मौका ही नहीं देते हैं। शुक्रवार को लोकसभा में सबा के दौरान राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिया गया। दरअसल बात यह है कि राहुल गांधी कल संसद में नीट के मुद्दे को उठाने वाले थे, जिसके लिए पहले तो उन्हें माइक नहीं दिया गया और जब दिया गया तो आधी बात बोलते ही उनका माइक बंद कर दिया गया।
माइक को बंद करवाने का आरोप-
जिसके बाद विपक्ष ने ओम बिरला पर सांसदों के माइक को बंद करवाने का आरोप लगाया। जिसके चलते तापी हंगामा भी हुआ। अब सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि विपक्ष इन आदतों की वजह से ही ओम बिरला से नाराज़ है और वह उलट फेर का इंतज़ार कर रहे हैं। यानी अगर जेडीयू को कुछ सांसद इंडिया गठबंधन की ओर हो जाते हैं, जिसकी आशंका बहुत ज्यादा है, तो विपक्ष सबसे पहले ओम बिरला को उनके पद से हटाएगा।
सांसद ओम बिरला से खुश नहीं-
सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि विपक्ष का एक भी सांसद ओम बिरला से खुश नहीं है। इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है, दरअसल अपने पिठले कार्यकाल के दौरान ओम बिरला ने एक सात विपक्ष के 113 सांसदों को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही सांसदों को निकालते ही बहुत से बिल भी पास करवा लिए। जिससे कोई सवाल उठाने वाला बचे ही ना।
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इसके अलावा एक कारण राहुल गंधी भी हैं क्योंकि जब राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस में फैसला आया था तो उस समय ओम बिरला ने ना सिर्फ लोकसभा से राहुल गांधी की सदस्यता रद्द की बल्कि उनके सरकारी घर से उनका सामान भी बाहर निकलवा दिया था। (वो भी 24 घंटे के अंदर)
संसद से बाहर–
इसके अलाव ऐसे बहुत से सांसद हैं जिनकी सदस्यता उनके अनसे छीन ली गई, जिसका जिम्मेदार वह ओम बिरला को मानते हैं। मोह्इया मित्रा को उन्होंने उनके पर्सनल अफेयर के चलते संसद से बाहर कर दिया। इसके अलावा विपक्ष ने ओम बिरला पर एक और आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि ओम बिरला बीजेपी या एनडीए के किसी भी सांसद को कुछ नहीं कहते वह चाहे गाली भी दे दें, तो उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता। दरअसल एक बार संसद में बोलते हुए बीजेपी सांसद रमेश बिधुरी ने गाली गलोज की थी, लेकिन ओम बिरला ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया।
लोकसभा में रोज़ हंगामा-
सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि विपक्ष कहना है कि ओम बिरला उनके साथ पक्षपात करते हैं। जबकि हमारे संविधान के मुताबिक एक स्पीकर को निष्पक्ष होना चाहिए, वह किसी एक पार्टी का नहीं होता। इसके बाद यह सवाल उठता है कि जब एक मजबूत विपक्ष एक स्पीकर से नाराज़ है तो क्या वह अपने पद पर आसानी से रह सकता है या लोकसभा में रोज़ हंगामा होगा।
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अविश्वास पत्र ओम बिरला के लिए-
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय एनडीए में बहुत से ऐसे लोग हैं जो बाजेपी से नाराज़ चल रहे हैं, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही है कि सरकार बनेन के बाद भी अगर गिनती बदल जाती है यानी अगर सत्तारुढ़ी एनडीए से कोई पार्टी इंडिया में शामिल हो जाती है तो विपक्ष द्वारा सबसे पहले ओम बिरला की कुर्सी होगी। क्योंकि विपक्ष का मानना है कि स्पीकर को निष्पक्ष होना चाहिए और वह किसी भी तरह से निष्पक्ष नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई उलट फेर संख्या में होता है तो संसद में सबसे पहला अविश्वास पत्र ओम बिरला के लिए जाएगा।
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