Constitution: कुछ दिनों पहले ही विपक्ष के मतों के आधार पर दस सालों से खाली नेता प्रतिपक्ष के पद पर राहुल गांधी बैठे। यह पद पिछले दस सालों से खाली था, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की संविधान में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है और ना हमारे संविधान में इस पद के बार में कुछ लिखा है। अब सवाल यह उठता है कि जब संविधान में इस पद के बारे में कुछ नहीं है तो फिर किसा कानून के तहत राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने और यह पद पिछले दस सालों से खाली क्यों था? आईए विस्तार से जानते हैं-
गैर कांग्रेसी सरकार (Constitution)-
दरअसल बात यह है कि हमारे संविधान में नेता विपक्ष जैसे किसी पद के बारे में कोई अवधारणा नहीं की गई और ना ही इसका कोई जिक्र है। साल 1977 में जब इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई, इमरजेंसी हटाई गई थी और मोरारजी देसाई की अगुवाई में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो नेता विपक्ष पद के लिए कानून बनाया गया। मोरारजी देसाई की सरकार “द् सैलरी एंड अलाउंस का लीडर्स ऑफ़ अपोजिशन इन पार्लियामेंट एक्ट 1977” लेकर आई थी। इस कानून में पहली बार नेता प्रतिपक्ष की आधिकारिक परिभाषा शामिल की गई थी।
जिसका कानून यह कहता था कि सदन में विपक्ष का नेता उसे माना जाएगा, जिसकी पार्टी के पास सबसे ज्यादा संख्या बल होगा और लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति दर्जा देंगे। कानून में यह भी कहा गया कि जब दो पार्टियों के पास समान संख्या बल होगा, तो स्पीकर तय करेंगे कि किस पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष का पद क्यों था खाली (Constitution)-
किसी भी पार्टी के पास नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कुल सीटों का 10% होना चाहिए। यानी की 543 सीटों में से उसके पास 55 सिटें होनी चाहिए। तभी वह इस पद पर दावा कर सकते हैं। इस बार कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसलिए विपक्ष का पद उनके खाते में गया, साल 2019 में कांग्रेस को 52 सिटें ही मिल पाई थी और की 2014 में 44 सीटें। इसलिए पिछले 10 सालों से यह सीट खाली थी।
प्रतिपक्ष का वेतन और दूसरी सुविधाएं-
साल 1970 में जब यह कानून लाया गया था, उसमें नेता प्रतिपक्ष के वेतन और दूसरी सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई थी। कानून में कहा गया था कि नेता विपक्ष कैबिनेट मंत्री के बराबर की सैलरी सुविधा और भत्ता दिया जाएगा। कानून के मुताबिक राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री जैसा ही भारी भरकम बांग्ला मिलेगा। इसके अलावा उन्हें सचिवालय में एक दफ्तर भी दिया जाएगा और 3,30,000 रुपए महीना सैलरी होगी और भत्ता भी मिलेगा। राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री जैसी सिक्योरिटी मिलेगी, मुफ्त हवाई यात्रा से लेकर ट्रेन, सरकारी गाड़ियां जैसी दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगे।
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बहुत ही शक्तियां-
सदन में राहुल गांधी सिर्फ विपक्ष नेता नाम के लिए नहीं होंगे, बल्कि एक तरीके से शैडो प्रधानमंत्री की तरह काम करेंगे। राहुल गांधी के पास बहुत ही शक्तियां होगी। राहुल गांधी पीएम मोदी के साथ उस चैनल का हिस्सा होंगे, जो की वीडियो और सीबीआई, केंद्र विकसित, केंद्र इनफॉरमेशन कमिश्नर और एनएचआरसी को सेलेक्ट करती है। राहुल गांधी इलेक्शन कमिश्नर को चुनने वाले पैनल का भी हिस्सा बनेंगे। सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा कर सकेंगे और नेता विपक्ष के तौर पर सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के भी अध्यक्ष होंगे।
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