Rahul Gandhi: संसद में इंडिया अलायंस और बीजेपी के एनडीए के बीच टकराव देखने को मिला। कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का माइक बंद कर दिया गया। जब राहुल गांधी ने NEET पेपर लीक का मुद्दा उठाया।
“मेरी आवाज़ क्यों नहीं सुनी जा रही?”
राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से माइक चालू करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “मैं एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाना चाहता हूं। लाखों छात्रों का भविष्य दांव पर है। क्या मेरी आवाज़ इतनी महत्वहीन है कि उसे दबा दिया जाए?”
“मैं माइक नहीं चलाता”-
स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “मैं सांसदों के माइक का संचालन नहीं करता। चर्चा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर होनी चाहिए। अन्य मामलों को सदन में दर्ज नहीं किया जाएगा।” इसके बाद से यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर संसद में माइक का कंट्रोल किसके पास होता है।
कहा होता है माइक का कंट्रोल-
संसद के दोनों सदनों में एक रुम होता है जहां ध्वनि टेकनीशियन बैठते हैं। वे लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को टाइप और रिकॉर्ड करने वाले कर्मचारियों का हिस्सा हैं। माइक इसी रुम से चालू या बंद किए जाते हैं।
पी. विल्सन, डीएमके राज्यसभा सांसद-
पी. विल्सन, डीएमके राज्यसभा सांसद का कहना है कि “माइक सभापति के निर्देशों के तहत सक्रिय किए जाते हैं। वे केवल तभी चालू किए जाते हैं, जब सभापति किसी सदस्य को बुलाते हैं।”
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समय सीमा का महत्व-
शून्यकाल में एक सदस्य को तीन मिनट का समय दिया जाता है। समय पूरा होने पर माइक अपने आप बंद हो जाता है। विशेष उल्लेख के मामले में, सांसदों को 250 शब्द पढ़ने की सीमा होती है।
यह विवाद संसद में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और विपक्ष की आवाज़ के महत्व पर सवाल उठाता है। क्या तकनीकी नियमों का उपयोग महत्वपूर्ण मुद्दों को दबाने के लिए किया जा रहा है? यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
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