Leader of Opposition: मंगलवार को इंडिया गठबंधन ने बड़ा फैसला लेते हुए राहुल गांधी को 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए चुना। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर को इसके बारे में पत्र भी भेज दिया। लेकिन अब सवाल यह उठता है की यह पद इतना अहम क्यों माना जा रहा है और इसके साथ-साथ क्या जिम्मेदारी आती है और क्या पावर मिलती है, आईए इसके बारे में जानते हैं-
Leader of Opposition की जिम्मेदारी-
राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिल रही है, जो काफी अहम मानी जा रही है। इस पद पर उनकी भूमिका बहुत बड़ी हो जाएगी। वह सरकार के आर्थिक फैसलों की समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी दे सकेंगे। राहुल गांधी उस लोक लेखा समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो की सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है। इसके अलावा उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी की जाती है।
Leader of Opposition बहुत से अधिकार-
इसके अलावा उन्हें बहुत से अधिकार दिए जाएंगे, अब वह नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कमेटी का भी हिस्सा बन जाएंगे, जो कि सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य सूचना आयुक्त, नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन सदस्य, मुख्य सचिव, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर मुख्य, सूचना आयुक्त के तौर पर भी काम करेंगे। इन सारी नियुक्तियां में राहुल गांधी प्रतिपक्ष के तौर पर उस टेबल पर बैठेंगे, जहां पीएम मोदी बैठेंगे।
राहुल गांधी से सहमति-
ऐसा ही पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से सहमति भी लेनी पड़ेगी। नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी दे सकेंगे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि संसद की मुख्य समिति में राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल है और उनके पास यह भी अधिकार होगा कि सरकार जो भी काम कर रही है उसकी समीक्षा कर सकें।
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राहुल गांधी की सक्रियता-
इससे लोकसभा के अंदर राहुल गांधी की सक्रियता बढ़ जाएगी और वह जरूरी विषयों पर इस तेवर के साथ बोलते नजर आ सकते हैं, जैसा पिछले दिनों में वह रहे हैं। राहुल विपक्ष को स्पीकर देने की मांग भी करते नज़र आए थे। यह तीसरी बार है जब नेहरू-गांधी परिवार को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है। राहुल से पहले उनकी मां ने यह पद संभाला था, सोनिया गांधी ने अक्टूबर 1999 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी ली, वहीं राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे थे।
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