Jayant Chaudhary: शुक्रवार को हुई एनडीए की मीटिंग में जयंत चौधरी को मंच पर जगह नहीं दी गई थी। जिसके बाद से विपक्ष के द्वारा कई अटकलें लगाई जा रही थीं और बहुत से सवाल भी उठाए जा रहे थे, कि उनके रिश्ते बीजेपी के साथ ठीक है या नहीं? यह भी कहा जा रहा था कि भाजपा द्वारा जयंत को किनारा किया जा रहा है। लेकिन अब एनडीए सरकार ने आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी को मंत्री बनना तय कर लिया है। इसके साथ ही उन्हें शपथ ग्रहण करने के लिए भी बुलाया गया है।
Jayant Chaudhary बागपत से मंत्री-
जयंत को बागपत से मंत्री बनाया जाएगा, इसके साथ ही उनके मंत्री बनने से बागपत के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों को भी फायदा पहुंचेगा। जयंत चौधरी के मंत्री बनने पर चौधरी परिवार 10 साल बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में नजर आएगा। चुनाव से पहले आरएलडी ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और बीजेपी के साथ गठबंधन करते वक्त एनडीए की सरकार बनने पर आरएलडी को एक मंत्री पद दिए जाने की बात तय की गई थी।
शपथ ग्रहण समारोह से बुलावा-
लेकिन पुराने संसद भवन में एनडीए की बैठक में आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के तीसरी पंक्ति में बैठने से सभी नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए। लेकिन अब जयंत चौधरी के मंत्री मंडल में शामिल होने की बात से अटकलों पर विराम जाएगा। आरएलडी के वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा जा रहा है कि आज यानि शनिवार को जयंत चौधरी के पास शपथ ग्रहण समारोह से बुलावा आया है और उन्हें मंत्रिमंडल में भी शामिल किया जाएगा।
तीसरी पीढ़ी केंद्र में मंत्री-
लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है, कि उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा या फिर राज्य मंत्री। लेकिन एनडीए के इस फैसले से आरएलडी के नेता और कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं और चौधरी परिवार की तीसरी पीढ़ी केंद्र में मंत्री बनेगी। अगर जयंत चौधरी को बागपत से मंत्री बनाया जाता है, तो इसका सबसे ज्यादा फायदा बागपत को होगा।
क्योंकि बागपत जयंत का नोडल जिला है और यहां के सहारे ही उन्हें अन्य जगहों पर भेजा जाता है। ऐसे में उनके मंत्री बनने से विकास कार्य तेजी से शुरू होने की उम्मीद है और बागपत ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी के अन्य जिलों में भी उन्हें काफी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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चौधरी अजित सिंह-
साल 2009 में भाजपा के साथ चौधरी अजित सिंह चुनाव लड़कर सांसद बने थे। उसके बाद साल 2011 में चौधरी अजित सिंह ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इसके बाद वह नागरिक उड्डयन मंत्री बने, जो कि साल 2014 के चुनाव होने पर मंत्री पद पर बने रहे।
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