शैलेश शर्मा
संसद की गरिमा तथ्यों से, प्रामाणिकता से, आचरण से शोशोभित होती थी जब लोहिया जी, जय प्रकाश नारायण, आडवाणी जी, नेहरू जी और सरदार पटेल बोलते थे तो पूरा सदन सुनता था। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी तो विपक्ष और पक्ष दोनों को एक कर देते थे, सब भूल जाते थे। हम सरकार के नुमाइंदे हैं या विपक्ष के सांसद कुछ मुद्दों पर तो मीडिया को समीक्षा करनी मुश्किल हो जाती थी।
आप मुझे पप्पू कहें कितनी भी गाली दें, लेकिन मैं आपसे नफ़रत नहीं करता हूं : राहुल गांधी
शैलेश शर्मासंसद की गरिमा तथ्यों से, प्रामाणिकता से, आचरण से शोशोभित होती थी जब लोहिया जी, जय प्रकाश नारायण, आडवाणी जी, नेहरू जी और सरदार पटेल बोलते थे तो पूरा सदन सुनता था। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी तो विपक्ष और पक्ष दोनों को एक कर देते थे, सब भूल जाते थे। हम सरकार के नुमाइंदे हैं या विपक्ष के सांसद कुछ मुद्दों पर तो मीडिया को समीक्षा करनी मुश्किल हो जाती थी।अब उसी सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नाटक में नीति और नियत दोनों की कमी दिखी। उनकी दिशा में संदेह तो है ही और साथ ही उन्होंने अपने अपरिपक्व व्यवहार के साथ आंख मारकर देश के प्रति ईमानदारी और गंभीरता पर सवाल खड़ा कर दिया। संसद ही नहीं पूरा देश शर्मशार है। इस कृत्य से विपक्ष के नेता की गरिमा पर सवालिया निशान लगने चाहिए।
अब उसी सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नाटक में नीति और नियत दोनों की कमी दिखी। उनकी दिशा में संदेह तो है ही और साथ ही उन्होंने अपने अपरिपक्व व्यवहार के साथ आंख मारकर देश के प्रति ईमानदारी और गंभीरता पर सवाल खड़ा कर दिया। संसद ही नहीं पूरा देश शर्मशार है। इस कृत्य से विपक्ष के नेता की गरिमा पर सवालिया निशान लगने चाहिए।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”