सुप्रीम कोर्ट ने बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना की प्रथा पर कई सवाल उठाए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई का सुनवाई करेगा। कोर्ट ने खतना प्रथा पर हैरानी चताते हुए कहा कि यह मामला पोक्सो ऐक्ट के खिलाफ हो सकता है। बच्चियों के प्राइवेट पार्ट को स्पर्श किये जाने को कोर्ट ने गलत माना। खतना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनिता तिवारी ने याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि इस प्रथा से संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट ने बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना की प्रथा पर कई सवाल उठाए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई का सुनवाई करेगा। कोर्ट ने खतना प्रथा पर हैरानी चताते हुए कहा कि यह मामला पोक्सो ऐक्ट के खिलाफ हो सकता है। बच्चियों के प्राइवेट पार्ट को स्पर्श किये जाने को कोर्ट ने गलत माना। खतना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनिता तिवारी ने याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि इस प्रथा से संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खतना की प्रथा पर केंद्र सरकार से राय मांगती। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन का मौलिक अधिकार कुछ सीमाओं से बंधा है। ये नैतिकता के लिहाज से ठीक और स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाने वाला होना चाहिए। जिस तरह से सती प्रथा को को बंद किया जबकि वह भी धर्म का एक हिस्सा था।बोहरा मुस्लिम समुदाय की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह एक धर्म की प्रथा का मामला है, जिसकी जांच की आवश्यकता है। सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि यह इस्लाम में पुरुषों का खतना का चलन सभी देशों में है। इस पर पीठ ने कहा कि किसी एक व्यक्कत के शरीर की अखंडती क्यों औ कैसे जरुरी प्रथा हो सकती है।आपको बता दे कि खतना प्रथा का चलन केवल बोहरा मुसलमानों में है। इस प्रथा के अनुसार ज्यादातर 6-7 साल की छोटी-छोटी बच्चियों का खतना किया जाता है। इसके तहत बच्ची के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है या बाहरी त्वजा निकाल दी जाती है। इस समय बच्चियों को कोई दवाई भी नहीं दी जाती। इसके चलन के तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का प्रयोग किया जाता है। भारत में ज्यादा तर बोहरा मुसलमानों की आबादी पश्चिम और दक्षिण भारत में है। इनकी आबादी सबसे ज्यादा गुजरात और महाराष्ट्र में है। इनकी जनसख्यां लगभग 10 लाख है। यह समुदाय दूसरे समुदाय के मुसलमानों से कम मिलनाजुलना रखते है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खतना की प्रथा पर केंद्र सरकार से राय मांगती। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन का मौलिक अधिकार कुछ सीमाओं से बंधा है। ये नैतिकता के लिहाज से ठीक और स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाने वाला होना चाहिए। जिस तरह से सती प्रथा को को बंद किया जबकि वह भी धर्म का एक हिस्सा था।
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बोहरा मुस्लिम समुदाय की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह एक धर्म की प्रथा का मामला है, जिसकी जांच की आवश्यकता है। सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि यह इस्लाम में पुरुषों का खतना का चलन सभी देशों में है। इस पर पीठ ने कहा कि किसी एक व्यक्कत के शरीर की अखंडती क्यों औ कैसे जरुरी प्रथा हो सकती है।
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आपको बता दे कि खतना प्रथा का चलन केवल बोहरा मुसलमानों में है। इस प्रथा के अनुसार ज्यादातर 6-7 साल की छोटी-छोटी बच्चियों का खतना किया जाता है। इसके तहत बच्ची के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है या बाहरी त्वजा निकाल दी जाती है। इस समय बच्चियों को कोई दवाई भी नहीं दी जाती। इसके चलन के तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का प्रयोग किया जाता है। भारत में ज्यादा तर बोहरा मुसलमानों की आबादी पश्चिम और दक्षिण भारत में है। इनकी आबादी सबसे ज्यादा गुजरात और महाराष्ट्र में है। इनकी जनसख्यां लगभग 10 लाख है। यह समुदाय दूसरे समुदाय के मुसलमानों से कम मिलनाजुलना रखते है।
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