देश के कई हिस्सों में गौ-हत्या के नाम पर हुई भीड़ की हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि गौ-हत्या के नाम पर देश में हो रही हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य यह सुनिश्चित करे की इस तरह की घटना न हो। साथ ही सीजेआई ने कहा कि भीड़ की हिंसा के शिकार बने पीड़ित को धर्म या जाति से जोड़ कर न देखा जाएं। पीड़ित पीड़ित होता है चाहे किसी भी धर्म का हो।
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देश के कई हिस्सों में गौ-हत्या के नाम पर हुई भीड़ की हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि गौ-हत्या के नाम पर देश में हो रही हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य यह सुनिश्चित करे की इस तरह की घटना न हो। साथ ही सीजेआई ने कहा कि भीड़ की हिंसा के शिकार बने पीड़ित को धर्म या जाति से जोड़ कर न देखा जाएं। पीड़ित पीड़ित होता है चाहे किसी भी धर्म का हो।उन्होंने कहा कि राज्यों का ये दायित्व है कि इस प्रकार की घटना को ना होने दिया जाए। SC की ओर से कहा गया है कि गोरक्षकों के द्वारा हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट एक विस्तृत आदेश जारी करेगा। SC ने कहा कि केंद्र को इस मसले पर आर्टिकल 257 के तहत एक स्कीम लानी चाहिए। ASG नरसिम्हा ने सुनवाई में कहा कि इस मामले में किसी स्कीम की जरूरत नहीं है, ये लॉ एंड ऑर्डर का मामला है। सवाल है कि आखिर कौनसा राज्य सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को मानता है।सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने और घटना होने के बाद अपनाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे। ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं। सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, FIR, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं।वहीं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है, वो गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ में लेकर लोगों को मार रहे हैं। महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसी ही एक घटना में 4 लोगों को मार दिया गया है। इंदिरा जयसिंह ने कहा है कि धर्म, जाति और लिंग को ध्यान में रखते हुए मुआवज़ा दिया जाए। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ये कुछ उचित नहीं है, पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है। उसे अलग तरह से नहीं देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राज्यों का ये दायित्व है कि इस प्रकार की घटना को ना होने दिया जाए। SC की ओर से कहा गया है कि गोरक्षकों के द्वारा हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट एक विस्तृत आदेश जारी करेगा। SC ने कहा कि केंद्र को इस मसले पर आर्टिकल 257 के तहत एक स्कीम लानी चाहिए। ASG नरसिम्हा ने सुनवाई में कहा कि इस मामले में किसी स्कीम की जरूरत नहीं है, ये लॉ एंड ऑर्डर का मामला है। सवाल है कि आखिर कौनसा राज्य सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को मानता है।
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सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने और घटना होने के बाद अपनाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे। ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं। सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, FIR, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं।
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