
मोदी ने स्वराज मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा, ”नौकरियों के मुद्दे पर हमें दोष देने के लिए मैं विपक्ष को दोष नहीं देता, मगर यह बताना जरूरी है कि उनके पास नौकरियों पर सटीक डेटा नहीं है। नई इकॉनमी में पैदा होने वाली नौकरियों के हिसाब से नौकरियां को गिनने के हमारा तरीका पुराना है और वो सही नहीं है।”
जब नौकरियों को मापने के सही तरीके को लेकर पीएम मोदी से सवाल किया गाया तो उन्होंने के कहा, ”जब हम अपने देश में रोजगार के रुझानों को देखते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे युवाओं की चाहतें उनकी आकांक्षाएं अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, देश भर में करीब तीन लाख ऐसे उद्यमी हैं जो कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं. स्टार्ट-अप नौकरियां जॉब क्रिएशन में प्रोत्साहन के रूप में काम कर रही हैं। आज देशभर में लगभग 15,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जो हजारों युवाओं को रोजगार देते हैं जिन्हें सरकार किसी न किसी तरह से मदद कर रही है। ” पीएम मोदी ने आगे कहा, ”यदि हम रोजगारों की गिनती को देखें हैं तो ईपीएफओ पेरोल डेटा के आधार पर सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक 41 लाख से अधिक औपचारिक जॉब क्रिएट की गई थीं। एक अध्ययन के मुताबिक, ईपीएफओ के आंकड़ों के आधार पर पिछले साल फॉर्मल सेक्टर में 70 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुई थीं।”
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जब पीएम मोदी से इस बात पर सवाल किया गाया कि जॉब क्रिएशन को लेकर सरकार के दावों और एक्सपर्ट की राय मेल नहीं खाती। इस पर मोदी ने कहा, ”पिछले साल जुलाई से देश की आजादी तक भारत में 66 लाख रजिस्टर्ड उद्यम थे। सिर्फ एक वर्ष में 48 लाख नए उद्यम रजिस्टर हुए हैं. क्या इसका परिणाम औपचारिकता और बेहतर नौकरियों की तरफ इशारा नहीं करता? मुद्रा (माइक्रो लोन) के तहत 12 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं। क्या यह उम्मीद करना अनुचित है कि एक लोन कम से कम एक व्यक्ति के लाइफ को सपोर्ट करने उसके साधनों को जुटाने में समर्थ है?”
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