अजय चौधरी
पीएम की चुप्पी टूटने के बाद महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी बोलने की हिम्मत जुटाई है। मेनका गांधी ने कहा है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को कम करने के लिए पोस्को एक्ट में बदलाव की जरुरत है। जिससे लोगों में खौैफ पैदा होगा। मतलब साफ है नियमों को और अधिक कडे बनाने की बात कही जा रही है।
लेकिन मेनका जी पहले से ही पोस्को एक्ट में रेप करने वाले को उम्रकैद तक का प्रावधान शामिल है। आप इसे ओर कितना कडा बनाएंगी? फांसी की सजा इसमें जोड कर वाहवाही जरुर लूट सकती हैं। इससे पहले तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में जिनमें आपकी ही पार्टी की सरकार है वो 12 साल तक की बच्ची से बलात्कार करने के मामले में दोषी पाए जाने पर फांसी तक की सजा का प्रावधान कर चुके हैं। बता दें उस दिन से कितनों को सूली पर लटकाया जा चुका है?
We've been thinking of amendments to POCSO Act (Protection of Children from Sexual Offences) to bring death penalty for rape or provision that instills fear in people so that they refrain from doing anything wrong with children: Maneka Gandhi,Women & Child Development Minister pic.twitter.com/uL7aFdhUIX
— ANI (@ANI) April 14, 2018
सवाल नियम और कानून कडे बनाने का नहीं है। सवाल न्याय का है। सवाल अपके सैंवेधानिक पदों पर बैठे रहने के बावजूद चुप्पी साधे रखने का है। सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली का है। पुलिस जब रेप की धाराएं ही मामले में नहीं लगाएगी या मामला ही दर्ज नहीं करेगी या फिर उल्टा पीडित पर मामला दर्ज कर लेगी और सरकारें आखें मूंद लेंगी तो आपके प्रावधान क्या करेंगे?
जिस तरह की घटनाएं हमने बीते दिनों में देखीं हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं।
पिछले 2 दिनो से जो घटनाये चर्चा में है वो निश्चित रूप से किसी भी सभ्य समाज के लिये शर्मनाक है। एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में हम सब इस के लिए शर्मसार है: PM— PMO India (@PMOIndia) April 13, 2018
योगी आदित्यनाथ चाहते तो उन्नाव रेप केस में दोषी विधायक को समय रहते गिरफ्तार करवा हीरो बन सकते थे और अपने सैंवेधानिक पद की गरीमा को बचाए रख सकते थे। आजकल उत्तरप्रदेश में वैसै ही एनकाउंटरों का दौर चल रहा है। क्यों नहीं करा दिया विधायक का एनकाउंटर। अपराधी तो वो भी है ही। योगी या फिर सैंवेधानिक पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को ये समझना होगा कि वो इस पद पर बैठकर किसी धर्म या किसी जातिविशेष का नहीं होता। अपनी प्रजा को न्याय दिलाना और सभी को समान नजर से देखना उसका कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने जो बोला उसमें कुछ नकल निकालना गलत होगा। एक राष्ट्र के प्रमुख से देश ऐसे ही बयान की उम्मीद लगाए बैठा था। लेकिन सूबे का प्रमुख होने के नाते योगी जी आपसे भी जनता की कुछ उम्मीदें हैं। उन्नाव कांड और उसमें सरकारी रवैया देखने के बाद आपकी एक सख्त मुख्यमंत्री की छवी धूमिल हो रही है।
देश के किसी भी राज्य में, किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी वारदातें, हमारी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देती हैं।
मैं देश को विश्वास दिलाना चाहता हूँ की कोई अपराधी बचेगा नहीं, न्याय होगा और पूरा होगा।
हमारे समाज की इस आंतरिक बुराई को खत्म करने का काम, हम सभी को मिलकर करना होगा: PM— PMO India (@PMOIndia) April 13, 2018
योगी जी ने विधायक का मोह नहीं छोडा, हो सकता है इसके पीछे ठाकुरों की राजनीति के समीकरण बिगडने का डर रहा हो। लेकिन इन घटनाओं से साफ है कानून कडा कर देने भर से कुछ नहीं होगा। फिलहाल देश की स्थिती ये बन चुकी है कि बिना जनआक्रोश के अब कोई बात नहीं बनने वाली है। अब इससे बुरे दिन क्या आएंगे कि बलात्कारियों के समर्थन में भी रैलियां हो और उसमें जय श्री राम के नारे लगाए जाएं। मतलब कुछ भी करके राम की शरण में चले जाओ। ये उसी तरह है जैसे सारे गुंडे किस्म के लोग भाजपा सरकार आते ही गौ रक्षक बन गए थे। कोई और सरकार आएगी तो इन्हें गाडीयों से झंडा बदलते भी समय नहीं लगेगा।
मैंने तो लाल किले से बोलने का साहस किया था कि लड़की से नहीं, लड़कों से पूछो।
हमें पारिवारिक व्यवस्था, social values से लेकर न्याय व्यवस्था तक, सभी को इसके लिए मजबूत करना होगा,
तभी हम बाबा साहेब के सपनों का भारत बना पाएंगे, न्यू इंडिया बना पाएंगे: PM— PMO India (@PMOIndia) April 13, 2018
दिक्कत ऐसे लोगों से नहीं, दिक्कत उनसे है जो इनके हौंसले बढा रहे हैं। उनकी है जो इन्हें इस बात की गारंटी दे रहे हैं आप कुछ भी कीजिए कुछ नहीं होगा। सत्ता आपकी है। योगी जी के पास वो लडकी अपने पिता की मौत से पहले भी इंसाफ मांगने आई थी। योगी चाहते तो सूबे के मुखिया होने के नाते उसे जांच का भरोसा तो दे ही सकते थे। लेकिन राजनीतिक समीकरण और सामने वाले के रसूख और धर्म के सामने रेप जैसे घिनोने अपराध भी छोटे पड जाते हैं।