दिनेश कुमार शर्मा
मीडिया को लेकर सभी के अपने ख्यालात हैं। कोई सोचता है हम आईकार्ड दिखाकर या गाड़ी पर लोगो चिपकाकर अपना चालान बचाते हैं, तो किसी के लिए सत्ताधारी दल के दलाल, जिनका काम सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाना है या फिर और कुछ भी ऐसा, जिसे ना तो मैं लिख सकता हूं और ना ही सोच सकता हूं। लोग अकसर हमें गलियाते हैं, बुरा भला कहते हैं लेकिन या तो पीठ पीछे या फिर मर्यादा में रहकर। मैं स्पष्ट कर दूं की मैं यहां बात आम आदमी की कर रहा हूं। जिसे कोई अपना हीरो नहीं मानता। ऐसे में उन लोगों से सभ्यता की उम्मीद बेहद बढ जाती है, जिन्हें हम और हमारे परिवार के लोग हीरो मानते हैं या देखना पसंद करते हैं।
मैं कपिल शर्मा का शो जब भी देखता तो हंसी जरूर आती थी लेकिन हर बार ये भ्रम पेदा होता की शायद इससे ज्यादा नीचे गिरकर किसी को हंसाया नहीं जा सकता। क्योंकि शायद किसी के मोटापे, गंजेपन या भद्देपन को लेकर इससे ज्यादा घटिया मानसिकता वाले जोक्स नहीं मारे जा सकते थे। कुल जमा, जहां से मैं देख रहा था, वहां से कपिल इससे ज्यादा नहीं गिर सकते थे लेकिन आज मेरा ये भ्रम टूट चुका है। विक्की लालवानी को नीचा दिखाने या अपनी भड़ास निकालने के लिए जिन वाक्यों का उन्होंने इस्तेमाल किया वो बेहद शर्मनाक है। सेलेब्रिटी होने के नाते कपिल पर कई नैतिक जिम्मेदारियां थीं, जिन्हें शायद कपिल ने कभी पहचाना ही नहीं था और अब उन्होंने विक्की लालवानी की बेटी को जो बातें कही हैं उससे लगता हैं उन्होंने अपने “फटे हुए सभ्यता” के चोले तक को उतारकर फेंका दिया है। आखिर कैसे कपिल ये भूल गए की विक्की लालवानी की बेटी भी उन्हीं बेटियों में से एक हो सकती है जो उसे अपनी हीरो मानती हैं। शायद अब से पहले कपिल उसके लिए भी उन फरिश्तों में शामिल होंगे जो रोतों को हंसाते हैं। हैरानी होती है, आखिर कैसे कोई किसी से कह सकता है की ”तेरी बेटी मेरे साथ सोना चाहती है” और सबसे हैरानी की बात है की कपिल को इतना गुस्सा सिर्फ इसलिए आया क्योंकि विक्की लालवानी ने उनके विरुद्ध खबरें प्रकाशित कीं और गलत भी क्या था? हर पत्रकार स्वतंत्र है अपने विवेक और समझ से खबरें लिखने के लिए। जिस तरह से कपिल खुद को स्वतंत्र समझते हैं किसी के भी शरीर के भद्देपन का मजाक उड़ा पैसा कमाने के लिए।
https://youtu.be/2kLWFQlp9HM
शायद ये कपिल की हताशा का प्रतीक है क्योंकि वो जानते हैं की उनके बिखरने के लिए दो गज जमीन तक नहीं है। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की कपिल चंद दिनों के सितारों की उस फेहरिस्त तक से बाहर हो चले हैं जो जल्द अंधेरों में खो जाते हैं क्योंकि वो लोग थोड़ी झुंझलाहट के बाद अपनी हार स्वीकार कर लेते हैं मगर कपिल अब हानिकारक हो गए हैं क्योंकि उन्हें फिर ये अंधेरे रास नहीं आ रहे।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”